The Single Best Strategy To Use For Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल न

मध्यकालीन भारत में दक्षिण भारतीय राज्य भामिनी और विजयनगर दो सबसे शक्तिशाली राज्य थे।

हुमायूं का मकबरा दिल्ली में अकबर के शासन के दौरान बनाया गया था, और इसमें संगमरमर का एक विशाल गुंबद था।

लॉर्ड कैनिंग को वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था

विजयनगर साम्राज्य का उदय: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। यह get more info उस समय का एकमात्र हिन्दू राज्य था जिस पर अल्लाउदीन खिलजी ने आक्रमण किया था। जिसके बाद हरिहर और बुक्का ने मुस्लिम धर्म अपना लिया। 

लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स ने गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया

मुग़ल काल के पतन से लेकर भारत की आजादी तक और वर्तमान को आधुनिक भारत की श्रेणी में रखा गया है। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये भारत में संघर्ष प्रारंभ हो गए थे। इस समयकाल ने आंदोलन, क्रांति, विरोध को जन्म दिया। 

लॉर्ड वेलिंगडन ने वायसराय के रूप में कार्य किया

प्लासी के युद्ध के उपरान्त बंगाल की स्थिति

पू. से लेकर मौर्यकाल तक का इतिहास प्रस्तुत करता है।

ब्रह्म सभा की स्थापना ने राजा राममोहन राय की थी

निजी अभिलेख प्रायः मंदिरों में या मूर्तियों पर उत्कीर्ण हैं। इन पर खुदी हुई तिथियों से मंदिर-निर्माण या मूर्ति-प्रतिष्ठापन के समय का ज्ञान होता है। इसके अलावा यवन राजदूत हेलियोडोरस का बेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरुड़ स्तंभ लेख, वाराह प्रतिमा पर एरण (मध्य प्रदेश) से प्राप्त हूण राजा तोरमाण के लेख जैसे अभिलेख भी इतिहास-निर्माण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इन अभिलेखों से मूर्तिकला और वास्तुकला के विकास पर प्रकाश पड़ता है और तत्कालीन धार्मिक जीवन का ज्ञान होता है।

१८० ईसवी के आरम्भ से, मध्य एशिया से कई आक्रमण हुए, जिनके परिणामस्वरूप उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में इंडो-ग्रीक, इंडो-स्किथिअन, इंडो-पार्थियन और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए

जैन साहित्य भी बौद्ध साहित्य की ही तरह महत्त्वपूर्ण हैं। उपलब्ध जैन साहित्य प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं। जैन आगमों में सबसे महत्त्वपूर्ण बारह अंग हैं। जैन ग्रंथ आचारांग सूत्र में जैन भिक्षुओं के आचार-नियमों का उल्लेख है। भगवतीसूत्र से महावीर के जीवन पर कुछ प्रकाश पड़ता है। नायाधम्मकहा में महावीर की शिक्षाओं का संग्रह है। उवासगदसाओ में उपासकों के जीवन-संबंधी नियम दिये गये हैं। अंतगडदसाओ और अणुतरोववाइद्वसाओ में प्रसिद्ध भिक्षुओं की जीवनकथाएँ हैं। वियागसुयमसुत में कर्म-फल का विवेचन है। इन आगमों के उपांग भी हैं। इन पर अनेक भाष्य लिखे गये जो निर्युक्ति, चूर्णि व टीका कहलाते हैं।

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